बात ही बात में बात निकल आती है।
बन्द झरोखों से भी बात निकल जाती है।।
कोई समझाएं हमें कि मुहब्बत है क्या।
हमें तो उनकी इबादत ही समझ आती है।।
©निमिषा

Hindi Shayri by Nimisha : 111449049

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