क्या से क्या
तू हो गयी माँ,
हमको
हरपल गढ़ने में..
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बिखरी-उलझी,
झुर्रियों की इबारत,
बीती उमरिया
पढ़ने में..||

# करुनेश कंचन

Hindi Song by करुनेश कंचन.. : 111448976
shekhar kharadi Idriya 4 years ago

वाह.. अप्रतिम.. अद्भुत.. माँ के लिये जितना भी लिखे इतना कम पड़ जाता है ।।

करुनेश कंचन.. 4 years ago

आभार कनु भाई💐💐💐

करुनेश कंचन.. 4 years ago

सच ही कहा प्रियवर बन्धु...💐💐💐

Sunil N Shah 4 years ago

मा को पढना मुश्किल है.. भगवान से भी ज्यादा उनका उपकार हैं हमारे पर..👌👌🙏

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