मैं खुद से ही बातें करता हूं
मैं खुद से ही मौन हो जाता हूं

मैं खुद पर ही हंसता हूं
मैं खुद से दुखी हो जाता हूं

मैं खुद से ही खफा होता हूं
मैं खुद को ही फ़िर मना लेता हूं

मैं खुद को ही खूब सोचता हूं
मैं खुद को नजरंदाज कर देता हूं

मैं खुद को ही परेशान करता हूं
मैं खुद को ही खुश करता हूं

मैं खुद से ही लड़ता झगड़ता हूं
मैं खुद को ही बाहों में लेता हूं

एक मैं ही तो हूं जो बड़ी सुलभता से
मिल जाता है खुद को
खुद की ही बातों के लिए
हर हालत में, हर समय में
एक पक्के दोस्त की तरह

:- भुवन पांडे

#खुद

Hindi Poem by Bhuwan Pande : 111448698
shekhar kharadi Idriya 4 years ago

वाह... अत्यंत सराहनीय सृजन शैली..👌👌

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now