Banglore कि धुली-धुली हवा मेरे बाल सेहला रही थीं आंखों मे नींद ओर मन मे सफ़र का खुमार लिए हम सडको- इमारतो को @uber_india कि खिडकी से देख रहे थे, सुबह हुइ हि थि इसिलिए सडके खाली थी
तब @uber पे 1st 5 ride पे 50% off था up to 75 उसी का फ़ायदा उठा के ठाठ से जा रहे थे श्री गुजराती वैश्नव समाज गांधीनगर, .
एक औरत बहार गजरे बेच रही थी, कुत्ते खाने कि खोज मे थे, हमे साडे 9 बजे तक इंतजार करने को कहा गया था एक कमरा खाली होने हि वाला था , TV मे कुछ बज रहा थाचिगलिंग-पिंगलिग मेरे लिए लोरी का काम कर रही थी,
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ठंड थी इसी लिए AC कमरा रखने का कोइ वजह तो नही थी हालाकी मिला ए सी कमरा ही ,
फ़्रेश होके पास मे ही एक भोजनालय थी जहाँ पे स्वादिस्ट वेजेटेरिअन खाना मिलता था, खाया-पिया ओर सो गये, सोके निकले शाम को बेग्लोर कि बज़ार देखने जगह जगह पर मुवी के पोस्टरस देखे, सब्ज़ी मंडी घूमे, लुंगी दुकाने देखी लेकिन,
जिस बातने सब से ज़ादा आकर्षित किया वो थे गजरे ओर गेहने !
स्कुल जाती लड़कीओ ने दो चोटी मे, कचरा साफ़ करती महीलाने, ओफ़िस जाती ओरतो ने सब ने दक्षिण भारत का सिम्बोल समान गजारा डाल रखा था ओर हम शादी-ब्याह मे भी ना पेहने वेसे ज़ेवर पेहन के वेसे सज-सवर के रेहते है, हर घर के बहार रंगोली सजी थी मानो हर-रोज़ दिवाली हो, उटी मे कुछ समय के बाद बारिश शुरू हो जाने कि वजह से पेहले वहा जान हि हमने जरूरी समजा, दुसरी सुबहा #Mysore जाना था ओर क्या वहा जाके क्या होने वाला था अजी किसे पता था