#Luck

तुटके बिखरा हूं दर पे तेरे,

फिर भी तूम बैठी हो,

खामोशी का लिबास पहने,

अनकहे जजबातो को बया करदे,

वो नजर है मेरे पास,

जिन नजरो में रोज,

दिखती थी तस्वीर मेरी,

वो आज हमसे नजरे चूरा रही है,

जिन गली में अक्सर हम भटके थे,

वो गलीयाँ आज भूलभुलैया बनी है,

समुंदर जैसी गहरी यादें,

आज मृगजल सी लगती है,

अब इसे में तकदीर समझु या,

अपनो ने दिखाया हुआ छलावा।

Hindi Poem by Needhi Patel : 111446918

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now