#नसीब #तक़दीर
मिलना इत्तेफाक़ था, बिछड़ना नसीब था..
दूर वो इतना हो गया, जितना वो करीब था..
हम उनको देखने को तरसते ही रह गए,
जिसकी हथेली पे हमारा नसीब था..
कामिनी वर्मा

Hindi Shayri by Kaamini : 111446657

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