#પ્રકાશ

अकसर वो भी इसी आश में निकलता है,
की एक वक्त कहीं तू भी आसमान को देखता है,,
तू भी वो चांद सा है,,
की जिसकी रोशनी से मेरा दिल धड़कता है,,
दूर ही सही पर हर रोज दीदार को तरसता है..!

🖌️📃✍️~$h!£@l~📄✍️!!

Hindi Shayri by Shital : 111445544

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