एक कमी मुझमे ,जो स्वीकार्य है ,
लोगो को परखने की, सबमे ही राम दिखते है,रामण न समझने की |
हर कोई मासूम होता है क्या?बस इसी बात को भूल जाने की, बस एक कमी है मुझमें लोगो को न, परख पाने की|
धोखा न दिया कभी किसी को ,न धोखा समझ पाने की ,
बस यही कमी है मुझमे लोगो को, न परखपाने की|
बहुत कुछ सीखा है जिन्दगी से ,बस चतुराई ही न भाई,
कथनी करनी सब एक रही , कुछ भी न ,छुपाने की |
अक्सर भावों में बिकी हूँ मैं , मुझे भावों ने लूटा है,
ईश्वर ने बनाया एक बार , हजारो बार टूटी हूँ|
अपने हिस्से न गिन पाई , जितने छिटके सब छूटा है,
बाहर के थे लोग नही ,मुझे अपनो ने ही लूटा है|
दिखता है जो दिखावा है, अन्तर न कर पाने की ,
बस यही कमी है मुझमे लोगो को न समझ पाने की|
#सीखना