हम सभी जाने
कितनी ही चीजें, सामान
कितने ही पहलू जीवन के
पकड़े रखते हैं
चिपकाए रखते हैं
संभाले रखते हैं
संजोए रखते हैं

ज़मीन, घर, पैसा
गाड़ी, साजो सामान
रिश्ते, प्यार, दोस्ती ,शोहरत ...

ये सभी कस कर
बांधे रखते हैं
जकड़े रखते हैं हमें
और
उम्र भर हम
अपनी पहचान बनाकर
लादे रहते हैं इन्हें
अपने ऊपर

और
फ़िर एक तय दिन
चल देते हैं हम
सब छोड़ छाड़ पीछे
खाली हाथ ही
अकेले ही
नितान्त अकेले ...

:- भुवन पांडे

#रखना

Hindi Poem by Bhuwan Pande : 111443333
Rama Sharma Manavi 4 years ago

सत्य कथन

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