#Keep

खेलने- कूदने की उम्र में,

थमा दी नन्हें हाथों में खिताब,

पाठशाला में पढाते मास्तर ,

विषय तराह तराह के,

एक को समझो तो दूजा भूलाए,

दूजे को समझो तो सिर चकराए,

उपर से मास्तर पूछता है ढेरो सवाल,

जवाब ना आए तो पडते है डंडे,

मास्तर तो फिर भी ठीक है,

पर ये ब्लेक बोडॅ पल्ले नी पडता,

घर में भी रोज रोज यही रामायण,

पढाई के नाम पे होती कितनी ही बहस,

थक हार के रोज पूछते है एक सवाल,

पढोगे नहीं तो क्या करोगे आगे ?

जिंदगी का मजा हो गया किरकीरा,

पढाई ना होके बन गया फंदा,

फिर भी लोग हमसे रखते है उम्मीदे,

कहते है बडा करेगा खानदान का नाम।

Hindi Poem by Needhi Patel : 111443093

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