(व्यंग)
#पतंग
राजनीति के आकाश में नेता जी की पतंग
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आसमान में इठलाती लहराती पतंग को देख
ऐसा महसूस होता है जैसे की उंचाई हासिल करके पतंग
अभिमान से फड़फड़ा रही है । परंतु ये नहीं भूलना चाहिए कि पतंग को हवा देने वाला उसका आका तो असल में जमीन पर है उसकी दशा को दिशा देने वाला ज़मीं आसमां तक का नियंता जमीन से ठुमकी दे रहा है ।
हमारे शहर के छुट भैया नेताओं का भी यह हाल है ।
ऊपर हाईकमान उनकी उड़ान को नियंत्रित करते हैं वो
राजनीति के आकाश में लहराते कभी कभी डगमगाते है।
आका की भी अपनी निजी औकात होती है । उनका
अपना धागा मांझा होता है । डोर की भी अपनी क्वालटी होती है । सलीम बादशाह की डोर है या राम प्रसाद
के द्वारा लाई गई है । राजनीति की पतंग की अपनी हवा
होती है कहीं कहीं लोभान की गंध में पतंग उठती है तो कभी कभी कहीं हवन सुवासित में तन जाती है ।
दरअसल कुशल नेता हवा का रूख देख पतंग को ढील देता है या लहराता है ।
पुराने समय में एक ही दल था एक ही हवा थी देश के पूरे आसमान में एक ही दल का राज होता था बस उस दल में घुसने का जुगाड लग गया मानो सारा आसमान उसका ।
परंतु अब फेसबुक , वाट्स एप का डिजिटल युग है मी टू का भी जोर इसलिए चाल चरित्र का भी ध्यान रखना जरूरी हो गया है । पतंग आसमान में होती है ताड़ने वाले
जमीन पर होते हैं ‌।शर्मा जी की पतंग वर्मा मेडम की मुड़ेर पर अटकी है या वही वहीं गुटया रही मिन्टो में हवा सारे
शहर में फ़ैल जाती है ।
पतंग में पुछल्ले का भी अपना रोल होता है, पुछ्ल्ले
भी पतंग को उंचाई देते इसलिए नेता अपने साथ अपने वजन के अनुसार पुछल्ले रखते हैं ।
हमारे शहर की राजनीति की पतंगों का यही हाल ।और
शायद सारे देश का भी यही हो ।

Hindi Funny by Anand Nema : 111442161

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