पतंग ...

एक डोर
एक पतंग
थोड़ा आकाश
और
थोड़ी हवा

यूं ही तो
हमारे जीवन की पतंग
उठती है
उड़ती है ऊपर

यूं ही तो
श्वास वायु बहती है
जोड़े हुए, ताने हुए
रूह की डोर को
हमारेे जीवन की
पतंग से

और यूं ही तो
हमारे भीतर के
मन आकाश में
झूमती है, घूमती है
हमारे जीवन की
रूमानी रंगीन पतंग
सांसों संग बहती
पकड़े रूह की डोर

:- भुवन पांडे

#पतंग

Hindi Poem by Bhuwan Pande : 111442041

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