#पतंग
ऊपर उठाने के साथ-साथ,
ढील देने का हुनर भी सिख ले,
तो ये आसमा तेरा है।

जो तू समय का रुख पहचान ले,
तो ये आसमा तेरा है।

जो तू हवा का मिजाज पहेचान ले,
तो ये आसमा तेरा है।

जो आसमान को बना दे आसन,
तो ये जहां तेरा है।
Mahek parwani

Hindi Poem by Mahek Parwani : 111441760

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now