आज फिर मुश्किलों के बादल !
चारो तरफ आये है भर !
तूफ़ान लहराए दुखो का !
गम में डूबे है सभी दर !
मगर इनसे हमे न है घबराना !
हौसल ए दामन को है बांधना !
इन दुखो से साथ मिलकर लडे हम !
है मुश्किल रास्ता गर !
चाहे दुश्मन भी है दम भर!
तय कर लिया हमने भी के !
एक दिन सुखो का सूरज बन !
इस अँधेरी दुनिया पर बरसे हम !

Hindi Poem by Prashant Vyawhare : 111440583

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