दीवानी हो गई थी उनकी बातो से,
भूल गई थी दुनियां दारी,
और हो गई थी बाहर अपने आपे से।
उस पर हो गया था इतना विश्वास जैसे हो भगवान्,
पागल दिल ने भी अपना सबकुछ उसे लिया था मान।
एक दिन बुलाया घर पे खिल गई जैसे दुनिया मेरी,
झट से भागी में पागल मिलने बन गया था वो कमजोरी मेरी।
जा के देखा वहां कुछ दोस्त भी थे उसके साथ,
हैरान थी में देख के उनके शराब भरे गिलास हाथो में हाथ।
सभी मेरी तरफ वो लपके,
निगाहें बोले उसे मुझे इन भेड़ियों से छुड़ा
जिस पर दिल को था नाज कभी ,
वो भी बन भेड़िया इस जिस्म पर टूट पड़ा
और नोच नोच कर काटा मुझे जैसे हो सदियों से भूखा पड़ा।
केवल जिस्म पाने के खेल है खेलते, होते है ये हैवान,
मेरी हालत को याद करना ये दुनियां,
और हर लडकी से निवेदन है कि न माने अब किसी लड़के को भगवान्।
#पागल
#ब्लॉग


#केवल

Hindi Poem by Sushma : 111436867
Abhinav Bajpai 4 years ago

दिल दहला देने वाली दस्ता बयां कर दी आपने वो भी कहानी को पद्य रूप देकर...

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