एक टाइम था...
जब... लोग अपने परिवार के लिए जान भी दे देते थे....
और एक आज है...
जहा लोग अपने लिए अपनों की जान भी ले लेते हैं....
अजीब परीवर्तन है....
तब जान के लिए खेला जाता था....
और अब जान से खेला जाता है.....
- Dhara

Hindi Shayri by Dr.Dhara Dobariya : 111435527

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