पागल मैं...
पागलों सी बातें करती हूं।
तोड़ती हूं खुद ही..
खुद से जो वादे करती हूं।
पागल मैं...
पागलों से वादे करती हूं
भूल जाती हूं खुद ही
जो मैं इरादे करती हूं।
पागल मैं...
पागलों से इरादे करती हूं
ऊब जाती हूं उनसे ही
जो मैं तमाशे करती हूं।
पागल मैं...
पागलों से तमाशा करती हूं।
तेरे इश्क की नाकामी में
पागलों के कायदे पढ़ती हूं
तेरे टूटे हुए वायदे पढ़ती हूं
पागल मैं....


#पागल

Hindi Poem by मिन्नी शर्मा : 111434584

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