#पागल
मेरे-तेरे भेद का चढ़ा रंग है,
इस पागलपन में कहाँ हमारा संग है?

कल-कल का बस जुनून है,
इस जुनून में बस आज गुम है।

मंगल, चाँद सब है पास,
किन्तु, बस पृथ्वी गुम है।

व्हाट्सएप, फ़ेसबुक, पे सब संग है,
बस प्यार गुम है।

ये मन का पागलपन है,
ढूढ़ता अपनापन है।
Mahek parwani

Hindi Poem by Mahek Parwani : 111434540

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