हमने कई कवितायेँ
हाथो में पकड़ी
माथे पर पकड़ी
पर दिल पर न रख सके।

और जो कविताऍं दिल मे
रखी गई ,
वो खुद ब खुद
माथे और हाथो में ठहर गई।

Hindi Poem by Neelam Samnani : 111432877

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