दिल की भाषा
पढ़ने, लिखने और
बोलने के लिए
नहीं दाखिला चाहिए
किसी पाठशाला में
नहीं याद करनी पड़ती है
कोई वर्णमाला
और
नहीं कंठस्थ करने होते हैं
नियम कई -
जोड़ने के लिए शब्द सभी
सार्थक भाव भरने के लिए
दिल की भाषा
तो भावों की भाषा है
जिसके लिए चाहिए
बस दो सरल प्रेम भरे हृदय
और जिसे आत्मसात
करने के लिए चाहिए
बस एक डोर
सीधी सरल सी
प्यार और अपनेपन की
जो जोड़े रखे दिलों को
और संप्रेषित कर दे
सारे भाव भीतर के
:- भुवन पांडे
#दिल