'जिंदगी का रंगमंच '

जिंदगी के रंगमंच पर हर किरदार निभाता रहा,..!
हर वो नये नये किरदार में जीता रहा.

हर राह में कोन अपना, कोन पराया ये ढूढता रहा,..!
फिर भी सब को 'अपना'कहता रहा.

सच- झूठ की महफिल में हर तरह के जाम पीता रहा,...!
फिर भी 'सच्चाई' के नशे में जिंदगी जीता रहा.

जिंदगी केे हर मोड पर एक नयी दुनिया बसाता रहा,...!
यही नयी दुनिया में नये 'अरमान' देखता रहा.

माना कि हर कोई रास्ता पहचाना नहीं होता,...!
फिर भी अनजाने रास्ते पर नयी 'उम्मीद'से चलता रहा.

यहीं तो जिंदगी होती है, जनाब, "हर पल खुशी से जीया करो",...!
बस... ये बात कहकर खुद को 'हिम्मत' देता रहा.

जिंदगी के रंगमंच पर हर किरदार निभाता रहा.

-विद्या पाडवी, जि-तापी.

Hindi Poem by Vidya : 111430406
Jiten Gadhavi 4 years ago

કમાલ કા લિખા હૈં.

Vidya 4 years ago

Thank u 🙏

પ્રભુ 4 years ago

વાહ વાહ સુપર ✍️👌👌

Vidya 4 years ago

Thank u 😊

Vidya 4 years ago

Thank u 😊

Vidya 4 years ago

Thank u 🙏

Parmar Geeta 4 years ago

વાહ વાહ..

Er.Bhargav Joshi અડિયલ 4 years ago

વાહ.....આફરીન....👌👌👌👌

Devesh Sony 4 years ago

વાહ વાહ... 👌

Jaydip 4 years ago

Kya bat ..kya bat ... Irshad irshad 👌👌👌👌👌👌

Vidya 4 years ago

Thank u bhaveshbhai.

Bhavesh 4 years ago

वाह क्या बात है 👌👌👌

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