श्रुत है प्रेम कण-कण में
श्रुत है जीवन हर क्षण में
दिखती है प्रकृति इस सृष्टि में
बन उसकी प्रतिच्छाया...
हर एक तो बन उसका ही आया।
श्रुत है उसका ही आत्म हर जन में
श्रुत है ब्रह्माण्ड समग्र उसके 'गर्भ' में।।

#श्रुत

Hindi Poem by मिन्नी शर्मा : 111429666
shekhar kharadi Idriya 4 years ago

अत्यंत सुंदर सृजन...

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