(मातृ दिवस पर)


1.
घर में जब माँ है होती
सब कुछ ठीक-ठाक रहता
बालक निश्चिंत होकर खेलता
खाता-पीता-मचलता
और सोता ।
जवान होश में रहता
मर्यादा का पालन करता ।
वृद्ध मार्गदर्शक होता
रास्ता नहीं कोई भटकता
घर आशीर्वाद से है भरा रहता।

*
2.
माँ नहीं कभी अकेली होती
हरदम ममता से भरी रहती
प्रेम-व्यंजनों से पूर्ण उसकी रसोई
वात्सल्य से गोद भरी होती।
घर-आँगन गूँजता खुशियों से
महकता अपनत्व की खुशबू से
भजन-कीर्तन नित्य होता,
भोग ठाकुर जी के लड्डुओं का लगता
बिस्तर रहता आनन्दित हमेशा
लोरियों से चहकता।
*
ज्ञानप्रकाश 'पीयूष' आर.ई.एस.
पूर्व प्रिंसिपल,
1/258 मस्जिदवाली गली
तेलियान मोहल्ला,
सदर बाजार के समीप,सिरसा (हरि.)
पिनकोड-125055.
मो. 94145 -37902 ,70155-43276
ईमेल-gppeeyush@gmail.com

Hindi Poem by Gyan Prakash Peeyush : 111429423
shekhar kharadi Idriya 4 years ago

माँ..का अत्यंत ह्रदय स्पर्शित वर्णन

Neha Sharma 4 years ago

माँ के प्रति बहुत ही उत्कृष्ट भाव एवं सुन्दर चित्र

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