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(मातृ दिवस पर) 1. घर में जब माँ है होती सब कुछ ठीक-ठाक रहता बालक निश्चिंत होकर खेलता खाता-पीता-मचलता
माँ..का अत्यंत ह्रदय स्पर्शित वर्णन
माँ के प्रति बहुत ही उत्कृष्ट भाव एवं सुन्दर चित्र
(मातृ दिवस पर) 1. घर में जब माँ है होती सब कुछ ठीक-ठाक रहता बालक निश्चिंत होकर खेलता खाता-पीता-मचलता और सोता । जवान होश में रहता मर्यादा का पालन करता । वृद्ध मार्गदर्शक होता रास्ता नहीं कोई भटकता घर आशीर्वाद से है भरा रहता। * 2. माँ नहीं कभी अकेली होती हरदम ममता से भरी रहती प्रेम-व्यंजनों से पूर्ण उसकी रसोई वात्सल्य से गोद भरी होती। घर-आँगन गूँजता खुशियों से महकता अपनत्व की खुशबू से भजन-कीर्तन नित्य होता, भोग ठाकुर जी के लड्डुओं का लगता बिस्तर रहता आनन्दित हमेशा लोरियों से चहकता। * ज्ञानप्रकाश 'पीयूष' आर.ई.एस. पूर्व प्रिंसिपल, 1/258 मस्जिदवाली गली तेलियान मोहल्ला, सदर बाजार के समीप,सिरसा (हरि.) पिनकोड-125055. मो. 94145 -37902 ,70155-43276 ईमेल-gppeeyush@gmail.com
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