माँ मां के बारे में जितना कहा जाए उतना कम है। मां के बारे में जितना लिखा जाए उतना भी कम है। कविताएं स्टोरी वह सब कुछ कम पड़ जाएगा, माँ के लिए।
हम सोशल मीडिया पर बार बार पढ़ते आए हैं, सुनते आए हैं। मां के पास एक रोटी मांगू वह दो दे देती है। मेरी मां को गिनती नहीं आती है। दोस्तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं है। मां के पास 10 या 15 रोटी होती है। वह आपको अगर दो दे देती है बात बड़ी नहीं हो जाती है। लेकिन हमारे घर पर कहीं से भी प्रसाद आता है। दोस्तों आपको पता होता है कि प्रसाद यानी प्रसाद।
प्रसाद कहीं से भी आता हैं, कटोरिया भर भर के नहीं आता है।प्रसाद की मात्रा में ही, थोड़ा सा आता हैं। वही प्रसाद अगर हमें अच्छी लगती है तो मां क्या करती है ?
वह अपनी दोनों आंखों से प्रसाद को लगाती है। अपने सर पर लगाती है और कहती है "ईश्वर हमें क्षमा कर देना, लेकिन यह प्रसाद मेरे बेटे को मेरी बेटी को बहुत पसंद है। मैं उनके लिए रख देती हूं ।" बस यही प्यार है, यही मां का प्यार।
अगर छोटा बच्चा बीमार हो जाता है तो मा केहती हैं।मेरा बच्चा बीमार हो इन से अच्छा में बीमार हो जाऊं। क्योंकि इसे क्या होता ये कुछ बताता नहीं।? अगर बच्चे को शांति नही तो हमे कैसे हो सकती हैं? बस यही प्यार है, यही मां का प्यार।
🙏🏻इसे ज्यादा कुछ भी नहीं💝
🇮🇳वंदेमातरम्🇮🇳
🎻🌹👍🏻👌🏻