'थप्पड़' व 'दम लगाके हईशा'
बात थी आत्म सम्मान की।

एक परिवार शहरी व संवेदनाहीन
एक परिवार देहाती पर संवेदनशील।

एक पति जिसकी महत्वकांक्षाएं हैं
एक पति जिसे बस आत्मसम्मान चाहिए।

एक सांस जो बेटे को कुछ नहीं कहती
एक सांस जो बहु के लिए बेटे को दौड़ाती है।

एक कहानी रिश्तों को कोर्ट ले गई
एक कहानी सब घर वापस ले आई।

रिश्तों को संभालने के लिए
क्या ये शहरीपना हमें भारी पड़ रहा है?

Hindi Quotes by Mahendra Sharma : 111427945

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