#बढ़ना
#गर_बढ़ना_है
गर बढ़ना है तो फिर रुकना कैसा ।
मेरे इन कदमों का अब दुखना कैसा ।।

दम निकले मेरा या साँसें छूट जाएं ।
अब सरे राँह यूँ मेरा थकना कैसा ।।

हार के जीने में अब कैसा मजा है।
आँखों में आँशू तो हँसना कैसा ।।

पन्ना तुमको ग़म भुला के बढ़ना है ।
ख़ामोखं झंझावतों में फंसना कैसा ।।
-पन्ना

Hindi Poem by Lakshmi Narayan Panna : 111426876

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