#आदर
है सदियों पुरानी रीत यहां की,
जहां नारी का जीवन है बदलती बाज़ी।

जहां द्रोपदी गुहार लगाती,
और हर निर्भया भयभीत होके रोती।

जहां नारी के आदर की लगती बोली ,
यहाँ हेल्पलाइन कवरेज क्षेत्र के बाहर होती।

फिर भी हर जुबानी है गाती,
यत्र नार्यस्तु पूज्यंते ,
तत्र देवता वसन्ति।
-Mahek Parwani

Hindi Poem by Mahek Parwani : 111420464

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