बोलना बहुत सहज है,
मौन को साधना बहुत कठिन।
बोलने में तारे हैं, हवाएँ हैं,
मौसम में चांदनी है, धूप है, सूर्य है।
पेड़ की छाया है काया है और ये माया है ।
तुम हो तभी यह संसार है ।
बोलना च्युत होना है,
और मौन ब्रम्हचर्य है ।
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Hindi Poem by Anjali Tiwari : 111419163

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