दुनिया ऐसी है जैसे मसाले का डिब्बा
कोई साफ है तो किसी में लगा है धब्बा
कोई राई जैसा फुट फुट जाता तो
कोई है जीरे जैसा चुभता
कोई सौंफ जैसा लगता मीठा
तो कोई नमक जैसा खारा
लेकिन इसके बिना स्वाद रह जाता सारा
कोई मिर्ची जैसा होता तीखा
स्वाद में ला देता मजा
ज्यादा हो जाए याद आ जाती है नानी
लेकिन बराबर हो बन जाती स्वाद की जुबानी आओ सब मिलकर गाए मसाले की कहानी अलग-अलग सबकी रंग है
जैसे हल्दी का है पीला
और धनिए का हरा
लेकिन सब सब्जी को कर देते हैं पूरा
इसी तरह जीवन में भी मसालों के अलग रंग है
अलग-अलग उमंग है
लेकिन सब हमेशा संग है
वही जीवन का असली रंग है
इसी तरह खत्म होती है मसालों की कहानी
जिसे सुनाती थी मेरी नानी

Hindi Poem by Yakshita : 111417697
रमेश पाली 4 years ago

अरे वाह.... सच्चा रचनाकार किसी भी विषय को सुंदर और सार्थक काव्य में ढाल सकता है 👌

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