#बनावट
शतरंज खेला बहुत,
मारी बाज़ी बहुत।

फिर भी कुछ है कुदरत के हाथ,जो वो बन गयी बाज़ीगर,
हरा दिया तुझको ओ कारीगर।

बनाया तूने बहुत कुछ,
फिर भी अधूरा सा लगता है,
प्रकृति मैया के सामने सर ज़ुकाते,
सब कुछ पूरा लगता है।
-Mahek Parwani

Hindi Poem by Mahek Parwani : 111414823

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