बाज़ार में कई सामान है
आज ये आकर्षित करता है
कल कुछ और

क्या फर्क पडेगा
कल तुम आकर
ये कह दो
की तुम्हारा प्रेम
उतना आकर्षित नहीं रहा,अब।

Hindi Poem by Neelam Samnani : 111411117

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