चाहे धर्म हो या अधर्म
चाहे सत्य हो याअसत्य.वो शून्य में नहीं जी सकता उसे भी उगने,पनपने के लिए समाज की ऊपजाऊ भूमि चाहिए,कोई युधिष्ठिर चाहिए,धृतराष्ट्र चाहिए.प्रकाश के लिए सूर्य,चंद्रमा,दीया चाहिए कहने का अर्थ है कि शून्य के मरुस्थल में भटकने से कुछ नहीं मिलेगा.न शब्द न अर्थ #महाभारत #अनामिका

Hindi Thought by डॉ अनामिका : 111408473

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