#जन्म

कागज़ो में बसती हु,
किताबो में हसती हु,
शब्दों से सजती हु ।

व्याकरण है मेरा श्रृंगार,
अल्पविराम, बिंदी मेरा परिवार ।

मन है मेरा पिता ,
कलम है मेरी जन्मदाता,
में बेटी कविता कहलाती हु ।
- Mahek Parwani

Hindi Poem by Mahek Parwani : 111407988

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