चल मन उठ, अकेले कॉफी पीते हैं।
उसके साथ जिए हुए पल फिर एकबार जीते हैं।
कांच था तो टूट गया।
अब हो गया सो हो गया।
तस्वीरों से कमरा सजा लेंगे।
खुद रूठेंगे और खुद ही मना लेंगे।
साथ था तो छूट गया।
अब हो गया सो हो गया।
रास्ते बहोत है तो मंजिले भी होंगी।
कुछ गलती तेरी कुछ मेरी भी होगी।
एक सपना था सो टूट गया।
अब हो गया सो हो गया ।
- हुकमसिंह जडेजा

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