#विश्व
वर्तमान समय में पूरा विश्व कोराना वायरस नामक बीमारी से ग्रसित है। इटली, जापान , अमेरिका जैसे विकसित राष्ट्र में लाखों लोग इस बीमारी से संक्रमित
हैं । केवल अमेरिका में तीस हजार से ज्यादा मौतें इस बीमारी के कारण हो गई है ।
चीन के वुहान शहर से यह निकल कर यह वायरस
पूरी दुनिया में फ़ैल गया है ।
अमेरिका ने इसे 'चाईना वायरस 'कहा और W H O
को इस वायरस की सूचना विश्व को न देने का आरोप लगाया है । ग्यात्व हो कि WHO विश्व स्वास्थ्य संगठन है जो पूरी दुनिया में संक्रामक बिमारियों को रोकने हेतु काम करता है ।
अमेरिका की दादा गिरी विश्व विख्यात है । श्रीमान ट्रम्प
को ज्ञात हुआ की मलेरिया रोगी में काम आने वाली दवा
'हाइड्राक्सीनक्लोरोक्वीन' करोना का बेहतर इलाज करती है ।भारत उक्त दवा बड़ा उत्पादक है अतः अमेरिका ने
भारत से हाइड्राक्सीनक्लोरोक्वीन दवा सप्लाई हेतु दबाव डाला । अमेरिका भारत का मित्र है और संकट काल में
अमेरिका ने भारत की मदद की है । ऐसे में और खासतौर पर मानवता के नाते भारत का फर्ज था कि वह अमेरिका को दवा की सप्लाई करे अतः भारत ने उक्त दवा भेजी अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प का आरोप है कि डब्लू एच ओ ने
जानबूझकर करोना महामारी की जानकारी नहीं दी इसलिए अमेरिका ने डब्लू एच ओ की आर्थिक सहयोग
राशी नहीं देगा (अमेरिका स्वास्थ संगठन को 440 करोड़ रूपयों की आर्थिक राशी प्रदान करता है)
अमेरिका का यह कृत्य निंदनीय है ।क्योंकि पूरी दुनिया
करोना वायरस से ग्रसित है जिसके कारण उद्योग धंधे
बंद है और लाखों करोड़ों श्रमिक घर में बैठे है ।
बहुत से देश आर्थिक रूप से कमजोर है और दुनिया से मदद के लिए गुहार लगा रहे हैं ।
चीन से अगर अमेरिका को कोई शिकायत है तो इसकी
सजा वह पूरी दुनिया को क्यों दे रहा है ।आज जब पूरी दुनिया विकसित और समृद्ध देशों से आशान्वित है ऐसे में
अमेरिका का हाथ खींच लेना दुखदाई भी है और अमानवीय भी है ।