छद्म है जगत जो इस भरम के सामने ,
आ जाता है अक्श मेरा सच के सामने .
मान मैं भी लेता जो कहते हो ठीक है ,
पर टूट जाता भरोसा अख्ज़ के सामने.

Hindi Shayri by Ajay Amitabh Suman : 111399543

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now