जिंदगी
बुझा बुझा सा चेहरा थमी थमी सी जिंदगी
वक्त से हारा हर कोई वक्त की मारी जिंदगी
आंसुयो में एक इबादत थी जो बह रहा था
आंसू जो सूख गए तो शूल चुभाती जिंदगी
वक्त था गुजर गया कुछ ले गया कुछ दे गया
यहां सब को मिली है चलती फिरती जिंदगी
वक्त के लबों पे दफ्न हो गई सारी कहानियां
भूली बिसरी सी हुई है हमारी तुम्हारी जिंदगी
जिंदगी की आंखो में आंखे डाल कर देखा हमने
जहां जहां अंधेरा था वहीं वहीं चमकी थी जिंदगी
हालांकि उस वक्त ने अपना काम कर दिया था
तेरे मेरे बीच में एक चिराग सी जलती जिंदगी
विभिन्न प्रकार के वक्त को गुजार दिया केशव ने
तब माथे की सिकन से चेहरे पे चमकती जिंदगी