गोद मे उसकी बहोत दिनो के बाद सोया था आज।
आख मे आसु लेकर बहोय रोया था मे आज।

काम करने चला था मे छोडकर उसे बहोत दिनो के लिए।
वो मां तडपती थी हररोज उसके चमन को मिलने के लिए।
क्या बताउ वो भी क्या दीन थे।

कमाए पैसै बहोत थे जेबो मे न जगह खाली थी।
अरे कभी नहीं सोचा यह मेने कि उस दिन मां कि गोद कितनी खाली थी।

खाना पीना सबकुच होटलो मे था और वहा परोसने वाले दो चार लोग भी थे।
मगर मा के हाथो से खाना वो करोडो से भी संतुष्टकारक था क्या बताउ वो भी क्या दिन थे।

Hindi Shayri by VARUN S. PATEL : 111396089

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