हे प्रकृति की सुंदर रचना!
भूल के ना! आना राहों में,
घर के बाहर खड़ा कोरोना,
तुम्हें अपना ग्रास बनाने में।।
आज कोरोना प्रकृति का प्रहरी!
धरती मां का रक्षक है,
64 योनि में हे मानव श्रेष्ठतम,
तुम पर लाया कैसा संकट है,
तुम मानव से दानव बन बैठे,
भूल गए अपनी सात्विकता को,
हे प्रकृति की सुंदर रचना!
भूल के ना! आना राहों में।।
रिश्ते नाते पैसा कौड़ी,
सबको लावारिस करार किया,
जो भूल गए तुम अपने धर्म को,
उससे तुम्हें आगाह किया,
कर्मन्यता का पाठ पढ़ाने,
खड़ा तुम्हारी राहों में,
हे प्रकृति की सुंदर रचना,
भूल के ना आना राहों में।।🙏🙏🙏🙏

Hindi Poem by Anju : 111393437

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