बहुत कुछ #अनकहे
लम्हे थे वो अनगिने,
छूट गये थे पीछे ,
देखे थे जो सपने
न हो सके वो अपने,
समय कभी रूकता नहीं,
समय कभी थकता नहीं।
बातें वो अनकहीं ,
रह गयीं वहीं खड़ीं।
इँतजार में तेरे,
शायद अब भी हों पड़ीं।
पीर दिल में आ बसी,
थी कोई तो बेबसी,
हम तो थे तुम्हारे ही,
तुम हमारे ना हुये।
#अनकहीं रवायतें ,
बेबसी की आयतें
रह गयीं थीं दरमियाँ,
जात की पात की,
धर्म की समाज की।
खिंचीं देख लकीरें ,
रह गये हम खड़े ।
#अनकहे वो स्वप्न थे ,
पूरे न हुये कभी ।
आज भी वो याद हैं,
रह गये जो #अनकहे
💐शोभा शर्मा💐
09/04/20
#अनकहा

Hindi Romance by Shobha Sharma : 111391258

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