आँख से अंधे को दुनिया नहीं दिखताी,
काम के अंधे को विवेक नहीं दिखता,
मंद के अंधे को अपने से श्रेष्ठ नहीं दिखता,
और स्वार्थी को कहीं भी दोष नहीं दिखता।

प्रिन्स शुक्ला

Hindi Shayri by P K SHUKLA : 111386342
Brijmohan Rana 4 years ago

लेखनी के मोती बेहतरीन सजाये ,लाजवाब ही लाजवाब ।

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now