हम तेरे प्रति इतने भावुक हो गये की
शब्दों की जगह आँसू बोल पडे।

खामोशी की पनाह में रातों का
बीत जाना।
सुबह फिर रात भुलकर नयी
जिंदगी जीना।

चोट लगे मुझे पर तेरे आँसू
निकल आना।
तु हँसे तो जिंदगी को खुलकर
जी लेना।

कहाँ से लाती हो ये सांमजस्यता
कैसे जतन करु मैं ये भावुकता


#भावुकता

Hindi Poem by Suryakant Majalkar : 111385293

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