स्वार्थ मेरा निजी था,किसी को पता ना था,
साथ चले मझधार तक,
पर नाव में छेद था,
निकल गया मैं लेकर कश्ती अकेला,
छोड़ दिया सबको डूबने,
क्योंकि स्वार्थ मेरा #निजी था।

Hindi Blog by Divyesh Koriya : 111381111

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