#निजी
समूचे के समूचे, अंतर यातना में,
अपने विषय, विश्लेषण, विवेचना में,
प्रबोधक-प्रहार या प्रपंच-परिक्रमा में,
द्वंद, संताप, पश्ताचाप, प्रार्थना में,
तुम्हारे शब्दों से पृथक
मैं समझती हूँ तुम्हें
धुंध में विलीन होती
निजी अभिव्यक्ति तुम्हारी
अपेक्षाओं के नभ में......✍🏼🙏🏻

Hindi Poem by Anjali Tiwari : 111380352

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