तू नहीं है मेरे इस जिंदगी के सफर मे फिर भी सूरज निकालता है, बस उसमे उजाला नहीं होता |

तू नहीं है मेरे इस जिंदगी के सफर मे फिर भी दो वक्त का भोजन पचता है, बस उसमे तेर बनाये हलवे की मीठाश नही होती |

तू नहीं है मेरे इस जिंदगी के सफर मे फिर भी काम मे मन लगता है, बस मुझे होंसला देने के लिए तू नहीं आज मेरी प्रेरणादाई किताबें होती है |

तू नहीं है मेरे इस जिंदगी के सफर म े फिर भी शामे ढलती है, बस उसमे हमारी खट्टी मीठी नोक -जोक नही होती |

तू नहीं है फिर भी मेरा '' जिंदगी का सफर '' रुका नहीं बस थोड़ा ठहर गया है,

कैसा है? ये मेरा ''जिंदगी का सफर " ! मरा नहीं हु तेरे बिना बस ज़िंदा लाश हो गया हु... |

zindagi ke safar me... ! Doli thakkar (vipra).

Hindi Poem by Doli thakkar વિપ્ર : 111379908

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