हर शहर में इश्क के बिमार,
बैठे है |
यह बुखार नही फिर भी ,
तडपते बैठे है |
इन्हें मरना है महोब्बत कि
बाहों में लेकिन हर एक ,
को ये बेवफा समझ बैठे है|

Hindi Shayri by Deepak Tokalwad : 111379085

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