दुनिया में कोई दोस्त कोई जानी न मिला,
दुश्मन मिले मगर कोई खानदानी न मिला,

हमारे ग़म भी खुशियोँ में बदल जाते,
मगर हमें कोई तावीज़ सुलेमानी न मिला।

कुंआं खोदने वाले प्यास से मर गये,
जिनका हक़ था उनको पानी न मिला।

मिलना है तो पाक जज़्बे से मिला कर,
पाकीज़ा दोस्ती में जज़्बा शैतानी न मिला।

ज़ालिम से अपना हक़ तो "पागल" ने छीना,
बड़ी मुश्किल से मिला भी आसानी न मिला।

✍🏼"पागल"✍🏼

Hindi Shayri by Prafull Pandya : 111375251

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