नालाँ ख़ुद अपने दिल से हूँ दरबाँ को क्या कहूँ,
जैसे बिठाया गया है, कोई पाँव तोड़ के।

क्या जाने टपके आँख से किस वक़्त खू़ने दिल,
आँसू गिरा रहा हूँ जगह छोड़-छोड़ के।

✍🏼"पागल"✍🏼

Hindi Shayri by Prafull Pandya : 111375198

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