कुछ यूं मन भटकने लगा है उनकी याद में,
अब तो शायद जिक्र भी हमारा होता होगा उनकी फरियाद में।।
भटकते मन को शायद सुकून मिलेगा उनकी बाहो में,
मंजिल भी ख्वाब बनके रहेने लगी है बस राहों में।।
है ये कुदरत का कहर या किस्मत खेल रही है अनोखा खेल,
जिंदगीया कुछ यूं बदलने लगी है रोज जनाज़ों में।।

#भटकना

Hindi Shayri by Tasleem Shal : 111373180

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