हास्य व्यंग्य कविता :- भ्रष्ट शिशु
------------------------

होली में जनमा, एक नेता का बेटा

मुसीबत बन गया, चैन से नहीं लेटा !


पैदा होते ही वह कमाल कर गया

उठा, बैठा और नेता जी की

कुर्सी पर चढ़ गया !


यह देखकर डॉक्टर घबरा गई

बोली - ये तो अजूबा है,

साईंस भी इसके सामने झूठा है ।

इसे पकड़ो और लिटाओ,

दुधमुंहा शिशु है, मॉं का दूध पिलाओ ।


दूध के नाम पर शिशु ने फुर्ती दिखाई

पास खड़ी नर्स की पकड़ी कलाई,

बोला - आज होली है, ये कब काम आएगी

काजू-बादाम की भंग अपने हाथों से पिलाएगी ।


नेता जी के

समझाने पर भी वह नहीं माना,

चींख-चींखकर अस्पताल सिर पर उठाया

और गाने लगा, शीला का गाना ।


उसके बचपने में शीला की जवानी छा गई,

मुन्नी बदनाम न हो इसलिए नर्स

भंग की रिश्वत लेकर आ गई ।


बेटे को भंग पीता देख

नेता जी घबरा गए,

बोले - तुम कौन हो और

क्यों कर रहे हो अत्याचार ?

शिशु बोला - तुम्हारी ही औलाद हूं

नाम है भ्रष्टाचार.... ।


@ राकेश सोहम्

Hindi Funny by राकेश सोहम् : 111373169

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now